परमात्मा के दोषी
हमारी संस्कृति में मांसाहार के सेवन को वर्जित माना गया है और मांसाहार भोजन इंसानों का खाना नहीं बल्कि राक्षसी भोजन है. मांस और मदिरा जैसी चीजें तामसिक भोजन कहलाती हैं. इस तरह का भोजन करनेवाले लोग अक्सर कुकर्मी, रोगी, दुखी और आलसी होते है.
मांस खाने से परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती अगर ऐसाा होता तोो सारे मांसाहारीी जानवर परमात्मा को सबसे प्रिय होते मास खाने वाले परमात्मा के दोषी बन रहे है मास खाने से भक्त्ति मार्ग में बाधा होती है परमात्मा ने मास खाने वालोो को राक्षस की संज्ञा दी है
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